Every chakra has unique symptoms (both physical and mental) that indicate under- or over-activity. Muladhara chakra activation- मूलाधार चक्र जिसे अंग्रेजी में Root Chakra रूट चक्र कहते हैं। इसकी एक्टिवेशन विधि जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि मूलाधार चक्र है क्या तथा इसका आपके जीवन में महत्व क्या है? The bija Mantra of Muladhara Chakra is Lam. Therefore if you’re involved in any spiritual practice it’s necessary to […] The Root Chakra or Muladhara is the first in the chakra system. Anxiety is just another name for fear. In real life the symptoms which occurs are loyalty,courage,perseverance and inner sounds of BUMBLEBEE is heard which is like rumbling motor during meditation. Gaia is resetting her emotional centre, we have the opportunity to do the same. Activation of Muladhara chakra results in riddance from tensions, true happiness, beauty, perfect health, physical strength & magnetic personality. The Sanskrit name MULADHARA translates to “foundation.” It is found at the base of our spine where Kundalini: the coiled serpent – our divine energy and vital force rests. It is the highest point that determines the spiritual life of a person. Gaia is resetting her emotional centre, we have the opportunity to do the same. “The person who experiences the activation of this center of force easily succeeds in overcoming the attachment for earthly matters and becoming highly courageous, defeats for good his/her fear of death. It’s also called “Sahasrara” which means “thousand-petaled”. In Sanskrit, this chakra is known as the Muladhara chakra, and this is one of the most essential chakras in your body. जब तक मनुष्य का मूलाधार चक्र शुद्ध नहीं होता तब तक उसका जीवन तामसिक तथा मन विभिन्न आसक्तियों, भ्रमों में फंसा रहता है।, संतुलित तथा सक्रिय मूलाधार चक्र मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा, उत्साह तथा विकास लाने में सहायक होता है। यदि यह अशुद्ध या बंद है तो मनुष्य में नकारात्मक गुण जैसे कि सुस्ती, स्वार्थ तथा भौतिक आसक्तियां ज्यादा प्रबल हो जाती हैं। परिणाम स्वरूप मनुष्य निराश तथा दुखी रहने लगता है।, इस चक्र का संकेत चित्र चार पंखुड़ियों वाला कमल है। जिसका अर्थ है कि शरीर की चार महत्वपूर्ण नाड़ियों से मिलकर इस चक्र का निर्माण हुआ है। यहां से चार भिन्न ध्वनियों, वम्, शम, सम्, शम का निर्माण होता है जो मस्तिष्क तथा हृदय के भागों में प्रकंपन पैदा करती हैं।, दूसरे शब्दों में, यह चक्र आपके दिल तथा दिमाग पर प्रभावी असर करता है। इसलिए इसका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है।, कमल के बीच उल्टा त्रिकोण भी मूलाधार चक्र का एक सांकेतिक चिन्ह है। जिसका अर्थ है ब्रह्मांड से आने वाली ऊर्जा नीचे की तरफ प्रवाहित हो रही है।, इस चक्र का रंग लाल है जो शक्ति का प्रतीक है। शक्ति अर्थात ऊर्जा गति, जागृति तथा विकास। यदि मूलाधार चक्र सक्रिय और संतुलित है तो मनुष्य के जीवन में सकारात्मक प्रगति होती रहती है।, हमारा शरीर पांच तत्व, धरती, पानी, आकाश, हवा, अग्नि से मिलकर बना हुआ है। मूलाधार चक्र पृथ्वी तत्व से जुड़ा हुआ है। सक्रिय होने पर पृथ्वी के सारे गुण मनुष्य के अंदर दिखाई देते हैं।, हमने देखा मूलाधार चक्र पृथ्वी से जुड़ा हुआ है। ताड़ासन अर्थात पर्वतासन पृथ्वी से आपकी संबंधों को मजबूत करता है आपके शरीर को मन से जोड़कर आपको वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता है।, मूलाधार चक्र के आसपास जितने भी शरीर के अंग हैं जैसे कि घुटने, पैर, कूल्हे इत्यादि, यह आसन उन अंगों को मजबूत करता है। पृथ्वी के साथ आपके संबंधों में दृढ़ता लाता है तथा आपके मूलाधार चक्र को बैलेंस करने में मदद करता है।, यह मुद्रा आपके पैरों को मजबूती से धरती के साथ जोड़ता है तथा मूलाधार चक्र से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को आपके रीढ़ की हड्डियों में से सुचारू रूप से प्रवाहित करने में मदद करता है।, इस चक्र को सक्रिय करने के लिए कुछ मुद्राएं उपर्युक्त योगासन, क्रिस्टल तथा कई ध्यान की विधियां है। यदि आप अपने मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं तो इन क्रियाओं के साथ-साथ आपको अपने कर्मों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।, कुछ ऐसे कर्म जो आपके इस चक्र को संतुलित करने में या सक्रिय करने में मदद करते हैं। तथा कुछ ऐसे भी कर्म है जो उसे नकारात्मक रूप से प्रभवित कर बंद कर देते हैं।, मुलधारा चक्र को सक्रिय करने या संतुलित करने के लिए कई विधियां हैं। यहां पर आपको कम समय में करने के लिए एक छोटी सी विधि बता रही हूं।, * कुर्सी पर या जमीन पर आसान बिछाकर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।, * ध्यान मुद्रा में ही अपने अंगूठे तथा तर्जनी ऊंगली को मिलाकर हथेलियों को घुटने पर रख,आकाश की तरफ़ खोलें।, * आंखें बंद कर तीन लंबी गहरी सांस लें तथा छोड़ दें। अपना सारा ध्यान पेरेनियम अर्थात जननेन्द्रिय तथा गुदा के बीच केंद्रित करें।, * ध्यान को बिना कहीं भटकाए, गहरी तथा लंबी सांस लें, रोके रखें तथा छोड़ दें।, * सांसों के आवागम के साथ मूलाधार चक्र के आस- पास हो रही प्रतिक्रिया पर ध्यान दें।, इसके अलावा आप निम्नलिखत विधियों द्वारा भी मूलाधार चक्र को स्वच्छ, सक्रिय तथा संतुलित कर सकते हैं।, १- मंत्र उच्चारण द्वारा भी मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित किया जा सकता है।, २- चक्र विधि के रोज़ाना अभ्यास से यह चक्र आसानी से सक्रिय तथा संतुलित हो सकता है।, ३- योगासन द्वारा भी मूलाधार चक्र को सक्रिय अथवा संतुलित किया जा सकता है।, जैसा कि हमने देखा कि मूलाधार चक्र पहला तथा सबसे महत्वपूर्ण चक्र है। इसका बंद होना, या गंदा होना, बाकी सारे चक्रों को प्रभावित कर जीवन को नकारात्मक मोड़ दे सकता है। इसको सक्रिय करने से तथा सुचारू रूप से चलने से कई सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं।, १- सुचारू मूलाधार चक्र से आपकी आंतरिक ज्ञान बढ़ता है।